Friday, March 11, 2011

दूसरा 2

वो क्कफी समय पहले की बात है की जब मैं प्राथमिक का विद्यार्थी था और लोग मेरी वाक्पटु क्षमता के कायल थे
बड़े बुजुर्ग लोग भी जो हिंदी क्षेत्र में महारत हासिल कर रखे थे वो बोलते थे ये लड़का कैसे इतनी सुधा और नपी तुली हिंदी बोलता है
आज ऐसी हालत हो गयी है की कभी कभी जब मैं एक दो शब्द इस्तेमाल कर देता हु तो लोग बोलते हैं क्या बात है क्या हिंदी बोली आपने
ये साड़ी चीजे कही दिखाती है की आप जन जीवन से खासकर हमारे उत्तरभारतीयों के रोज मर्रा की जिन्दगी से कैसे हिंदी विलुप्त होती जा रही है
ये वो भाष है जो कभी ४० करोर भारतियों को आज़ादी दिलाई थी और आज गनीमत ये है की धीरे धीरे इस भाषा के अंदर इंग्लिश दीमक की तरह अपना घर बनाकर इसे खाए जा रहा है।

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