कड़कते कड़क नोटों की कड़कता से कड़कना कड़क लोगों की करकराहट नहीं होती
जो सही में कड़क हैं उन्हें कड़कने की जरूरत नहीं होती.............
By profession Author is Software developer.he has great interest in topics related with spritualism,science and technology,and strong current affair views.whatever he has written is totally his own creativity.duplication and copying is strictly prohibited.
Friday, March 11, 2011
दूसरा 2
वो क्कफी समय पहले की बात है की जब मैं प्राथमिक का विद्यार्थी था और लोग मेरी वाक्पटु क्षमता के कायल थे
बड़े बुजुर्ग लोग भी जो हिंदी क्षेत्र में महारत हासिल कर रखे थे वो बोलते थे ये लड़का कैसे इतनी सुधा और नपी तुली हिंदी बोलता है
आज ऐसी हालत हो गयी है की कभी कभी जब मैं एक दो शब्द इस्तेमाल कर देता हु तो लोग बोलते हैं क्या बात है क्या हिंदी बोली आपने
ये साड़ी चीजे कही दिखाती है की आप जन जीवन से खासकर हमारे उत्तरभारतीयों के रोज मर्रा की जिन्दगी से कैसे हिंदी विलुप्त होती जा रही है
ये वो भाष है जो कभी ४० करोर भारतियों को आज़ादी दिलाई थी और आज गनीमत ये है की धीरे धीरे इस भाषा के अंदर इंग्लिश दीमक की तरह अपना घर बनाकर इसे खाए जा रहा है।
बड़े बुजुर्ग लोग भी जो हिंदी क्षेत्र में महारत हासिल कर रखे थे वो बोलते थे ये लड़का कैसे इतनी सुधा और नपी तुली हिंदी बोलता है
आज ऐसी हालत हो गयी है की कभी कभी जब मैं एक दो शब्द इस्तेमाल कर देता हु तो लोग बोलते हैं क्या बात है क्या हिंदी बोली आपने
ये साड़ी चीजे कही दिखाती है की आप जन जीवन से खासकर हमारे उत्तरभारतीयों के रोज मर्रा की जिन्दगी से कैसे हिंदी विलुप्त होती जा रही है
ये वो भाष है जो कभी ४० करोर भारतियों को आज़ादी दिलाई थी और आज गनीमत ये है की धीरे धीरे इस भाषा के अंदर इंग्लिश दीमक की तरह अपना घर बनाकर इसे खाए जा रहा है।
Friday, March 4, 2011
sadak
घर से होके परेशां
निकला होके हैरान
मन में थी हैरानी
छाई थी पूरी वीरानी
सोचा कुछ अछ्छा पाऊ
कुछ करू ऐसा की न पछताऊ
ख्हिजते हुए आया सड़क पे
ऐसा लगा पहुँच गया सायद नरक पे
झुझलाते हुए मैंने अपना कान खुजलाया
गुस्साते हुए दिल को थोडा सा समझाया
क्यों बेवक्त ऐसे नाराज ऐसे क्यों गुस्सा है
दिल क्या तेरा पत्थर क्या नहीं ये शीशा है
हाथ पीछे मोड़े जो अपना मैं नजर उठाया
सामने अपने एक अजीब सा नजारा पाया
लगा हवाओ का रुख पलटने
लगा ये मौसम मिजाज बदलने
जाते मुसाफिर वही ठहर गए
ऐसा लगा लक्ष से कैसे मुकर गए
दूर नजर उठाई बड़ी भीड़ कड़ी थी
ऐसा लगा कोई कुछ खास भादी पड़ी थी
तेज कदमों से जब पहुंचा उसके पास
अपने आँखों पे नहीं हुआ मुझे विश्वास
सामने मेरे जो वो पड़ा था
ऐसा लगा जैसे उसका वहां होना बहुत बड़ा था
कैसा जीव था वो समझ नहीं आया
सोचने की कोशिश की पर असफलता ही पाया
एक व्यक्ति से पूछा क्या है ये
उसने बोला दीखता नहीं क्या बे?
नजर हटके जब चस्मा किया साफ़
बोला सायद ठीक हो सारा भूल चुक माफ़
चश्मे की ताकत अब समझ में आई
वो धुधली चीज चश्मे ने एकदम साफ़ दिखलाई
६ फूट लम्बा एक शरीर गिरा पड़ा था
चोटें बहुत थी और जखमा बहुत गहरा था
माथे से खून था,हांथों में चोट थी
शररे बेजान था यही बस खोट थी
पैरों क निचे कोई विदेशी जूता था
चमक इतनी थी की चमकता पूरा फीता था
लगता था की कोई बड़े घर का सपूत है
या फिर देवलोक से आया कोई दूत है
लोगों से पूछा ये उठ कर बैठता क्यों नहीं
इसको उठाओ ऐसा सोता ठीक नहीं
लोगों ने घूरा बोला पागल हो गया है क्या
मरे हुए को बोलता है जिन्दा है ये क्या
अचानक दिमाग मेरा झन्ना से झंनाया
परेशां सा होकर निगाहे फिर झुकाया
लगा छाती जोर जोर से धड़कने
आँखें जलने लगी लगा कलेजा फरकने
पूछा कैसे हुआ ये कौन मारा इसको
कैसे गिरा ये ,कौन गिराया इसको
लोगों ने कहा अपने वहां पे था ये
कब कैसे हुआ ये किसी की नहीं पता ये
तभी अचानक एकदम से पुलिश आ गयी उधर
हटने लगी पूरी भीड़.छ गयी देह्सत उधर
लोग हटने लगे इधर उधर
हो गयी भीड़ तितर बितर
लाश को डाला गाड़ी में
गाड़ी चली गयी पुलिश ठाणे जिधर
भारी कद्मे से मैं लगा आगे चलने
शारीर चल रहा था पर मन लगा सोचने
क्या ऐसी बात थी क्या हुआ उसके साथ
क्यों गिरा वो बालक क्यों हुआ ये उसके साथ
सामने खड़ा बुजुर्ग मेरे मन को ताड़ गया
एक करारा जवाब देकर मुझे पूरा लताड़ गया
क्यों होते हो चिंतित यहाँ की यही कहानी है
जो इधर खोयी सावधानी मौत ही उसको आनी है
देश की राजधानी की सरको का ऐसा बुरा हाल है
अगर सही सलामत वापस लौटे तो समझना कोई नहीं मलाल है
जिन्दगी बहुत महत्वापूर्ण है करो इसका आदर
वरना बहुत पछ्तावोगे समझे भाई बिरादर.......................
निकला होके हैरान
मन में थी हैरानी
छाई थी पूरी वीरानी
सोचा कुछ अछ्छा पाऊ
कुछ करू ऐसा की न पछताऊ
ख्हिजते हुए आया सड़क पे
ऐसा लगा पहुँच गया सायद नरक पे
झुझलाते हुए मैंने अपना कान खुजलाया
गुस्साते हुए दिल को थोडा सा समझाया
क्यों बेवक्त ऐसे नाराज ऐसे क्यों गुस्सा है
दिल क्या तेरा पत्थर क्या नहीं ये शीशा है
हाथ पीछे मोड़े जो अपना मैं नजर उठाया
सामने अपने एक अजीब सा नजारा पाया
लगा हवाओ का रुख पलटने
लगा ये मौसम मिजाज बदलने
जाते मुसाफिर वही ठहर गए
ऐसा लगा लक्ष से कैसे मुकर गए
दूर नजर उठाई बड़ी भीड़ कड़ी थी
ऐसा लगा कोई कुछ खास भादी पड़ी थी
तेज कदमों से जब पहुंचा उसके पास
अपने आँखों पे नहीं हुआ मुझे विश्वास
सामने मेरे जो वो पड़ा था
ऐसा लगा जैसे उसका वहां होना बहुत बड़ा था
कैसा जीव था वो समझ नहीं आया
सोचने की कोशिश की पर असफलता ही पाया
एक व्यक्ति से पूछा क्या है ये
उसने बोला दीखता नहीं क्या बे?
नजर हटके जब चस्मा किया साफ़
बोला सायद ठीक हो सारा भूल चुक माफ़
चश्मे की ताकत अब समझ में आई
वो धुधली चीज चश्मे ने एकदम साफ़ दिखलाई
६ फूट लम्बा एक शरीर गिरा पड़ा था
चोटें बहुत थी और जखमा बहुत गहरा था
माथे से खून था,हांथों में चोट थी
शररे बेजान था यही बस खोट थी
पैरों क निचे कोई विदेशी जूता था
चमक इतनी थी की चमकता पूरा फीता था
लगता था की कोई बड़े घर का सपूत है
या फिर देवलोक से आया कोई दूत है
लोगों से पूछा ये उठ कर बैठता क्यों नहीं
इसको उठाओ ऐसा सोता ठीक नहीं
लोगों ने घूरा बोला पागल हो गया है क्या
मरे हुए को बोलता है जिन्दा है ये क्या
अचानक दिमाग मेरा झन्ना से झंनाया
परेशां सा होकर निगाहे फिर झुकाया
लगा छाती जोर जोर से धड़कने
आँखें जलने लगी लगा कलेजा फरकने
पूछा कैसे हुआ ये कौन मारा इसको
कैसे गिरा ये ,कौन गिराया इसको
लोगों ने कहा अपने वहां पे था ये
कब कैसे हुआ ये किसी की नहीं पता ये
तभी अचानक एकदम से पुलिश आ गयी उधर
हटने लगी पूरी भीड़.छ गयी देह्सत उधर
लोग हटने लगे इधर उधर
हो गयी भीड़ तितर बितर
लाश को डाला गाड़ी में
गाड़ी चली गयी पुलिश ठाणे जिधर
भारी कद्मे से मैं लगा आगे चलने
शारीर चल रहा था पर मन लगा सोचने
क्या ऐसी बात थी क्या हुआ उसके साथ
क्यों गिरा वो बालक क्यों हुआ ये उसके साथ
सामने खड़ा बुजुर्ग मेरे मन को ताड़ गया
एक करारा जवाब देकर मुझे पूरा लताड़ गया
क्यों होते हो चिंतित यहाँ की यही कहानी है
जो इधर खोयी सावधानी मौत ही उसको आनी है
देश की राजधानी की सरको का ऐसा बुरा हाल है
अगर सही सलामत वापस लौटे तो समझना कोई नहीं मलाल है
जिन्दगी बहुत महत्वापूर्ण है करो इसका आदर
वरना बहुत पछ्तावोगे समझे भाई बिरादर.......................
Tuesday, March 1, 2011
People ask me ,how you have done this,as you were not aware about this.Usally this happens so many times,just by guessing about some particular thing I got the right solution.In my Mba preparation i have found there were so many difficult situations where just by considering the right scenario I got the proper solution.
In the view of most of scholars it may be said that it is pure hit and trail method.But a pure heat and trail method cannot always find the real solution.this can be properly explained as the flowing execution of SIXTH SENSE.
The Sixthsense is the part of every creature of this world.,particularly for human being.It is normal part for human psyche and abnormal or reserved for special and gifted persons.Everybody is aware of his five basic sense,but he is not aware properly for his sixth sense,the sense of overworldliness a connection to something more than their physical senses are able to perceive.
there is great need to develop this.it is not like thet we have to work to much hard for this.I have found in every task there is something which explains the pattern of similarity,we have need only to feel the pattern as well as to apply that.But as now a days a person is going to be too much talkative and very less think it is very difficult to think about a particular thing.Usually this thinking is not just like the normal thinking about some worse scenario.there is need to developsomething called critical thinking.
The critical thinker has the selfawareness to known the difference between rational thought based on careful consideration and an emotional response based on personal bias.Emotion is the enemy of reason.while being emotional nobody can find the proper reason.By understanding your own perspective you can also consider the perspective of others and come to a conclusion based on face not on feeling.
while developing the habbit of critical thinking you can find the ability of feel through Sixth sense is developed automatically.
In the view of most of scholars it may be said that it is pure hit and trail method.But a pure heat and trail method cannot always find the real solution.this can be properly explained as the flowing execution of SIXTH SENSE.
The Sixthsense is the part of every creature of this world.,particularly for human being.It is normal part for human psyche and abnormal or reserved for special and gifted persons.Everybody is aware of his five basic sense,but he is not aware properly for his sixth sense,the sense of overworldliness a connection to something more than their physical senses are able to perceive.
there is great need to develop this.it is not like thet we have to work to much hard for this.I have found in every task there is something which explains the pattern of similarity,we have need only to feel the pattern as well as to apply that.But as now a days a person is going to be too much talkative and very less think it is very difficult to think about a particular thing.Usually this thinking is not just like the normal thinking about some worse scenario.there is need to developsomething called critical thinking.
The critical thinker has the selfawareness to known the difference between rational thought based on careful consideration and an emotional response based on personal bias.Emotion is the enemy of reason.while being emotional nobody can find the proper reason.By understanding your own perspective you can also consider the perspective of others and come to a conclusion based on face not on feeling.
while developing the habbit of critical thinking you can find the ability of feel through Sixth sense is developed automatically.
वर्ल्ड कप मार
इस बार बार
कहने दो यार
इस बार नहीं
जाये बेकार
इस बार वार
नहीं है बेकार
पूरी है धार
तगड़ी है वार
पूरा है प्यार
तगड़ा दुलार
और पूरी है मार
नहीं होगी हार
जीतेंगे यार
चाहे रोये संसार
पर कप आएगा घर
कहने दो यार
इस बार नहीं
जाये बेकार
इस बार वार
नहीं है बेकार
पूरी है धार
तगड़ी है वार
पूरा है प्यार
तगड़ा दुलार
और पूरी है मार
नहीं होगी हार
जीतेंगे यार
चाहे रोये संसार
पर कप आएगा घर
शक
किसी ने कहा मुझसे
सिंघजी आपका कोड काम कर जायेगा
मैंने कहा शक है
भाई साहब ने कहा
इंडिया जीतेगी इसबार
मैंने कहा शक है
दोस्त ने कहा
तेरी सैलरी बढ़ जायेगी
मैंने कहा शक है
बॉस ने कहा
भाई तू जिम्मेदारी बाधा ले
मैंने कहा शक है
गर्लफ्रेंड ने कहा
हमारी शादी होगी
मैंने कहा शक है
बाबूजी ने कहा
तू बड़ा आदमी बनेगा
मैंने कहा शक है
सब बोले
तू बड़ा शक्की है
मैंने कहा शक है।
सिंघजी आपका कोड काम कर जायेगा
मैंने कहा शक है
भाई साहब ने कहा
इंडिया जीतेगी इसबार
मैंने कहा शक है
दोस्त ने कहा
तेरी सैलरी बढ़ जायेगी
मैंने कहा शक है
बॉस ने कहा
भाई तू जिम्मेदारी बाधा ले
मैंने कहा शक है
गर्लफ्रेंड ने कहा
हमारी शादी होगी
मैंने कहा शक है
बाबूजी ने कहा
तू बड़ा आदमी बनेगा
मैंने कहा शक है
सब बोले
तू बड़ा शक्की है
मैंने कहा शक है।
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